करेंसी बाज़ार की टाइमिंग: कब और क्यों ट्रेड करें
Paul Reid के आधार पर

करेंसी बाज़ार की टाइमिंग उन समयों को पहचानने के बारे में है, जब अस्थिरता विश्वसनीय रूप से अधिक होती है। हालाँकि अस्थिरता को जोखिम भरा माना जाता है, लेकिन यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की जीवन-शक्ति है और इसके बिना ट्रेडिंग में असली लाभ प्राप्त करने के लिए, भारी इक्विटी या उच्च लिवरेज की आवश्यकता होती है।
करेंसी बाज़ार के सेशंस को समझना
फ़ॉरेक्स बाज़ार को चार मुख्य सेशंस में बाँटा गया है: सिडनी, टोक्यो, लंदन, और न्यूयॉर्क। हर सेशन की अपनी खासियत है, जो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं और बाज़ार की गतिशीलता से प्रभावित होती है।
सिडनी सेशन
यह रविवार को शाम 5:00 बजे EST से शुरू होता है। इसमें कारोबारी सप्ताह के मुकाबले शांत शुरुआत होती है।
टोक्यो सेशन
यह शाम 7:00 बजे EST से शुरू होता है, यह कीमतों में छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव के साथ अपनी टेक्निकल ट्रेडिंग के लिए जाना जाता है।
लंदन सेशन
यह सुबह 3:00 बजे EST पर शुरू होता है और उच्च तरलता व अस्थिरता के लिए जाना जाता है।
न्यूयॉर्क सेशन
यह सुबह 8:00 बजे EST पर खुलता है और लंदन सेशन के साथ ओवरलैप होता है तथा यहाँ बाज़ार से जुड़ी अहम गतिविधियाँ होती हैं।
ट्रेडिंग के लिए सबसे बेहतर समय
ट्रेडिंग की सबसे अच्छी टाइमिंग सेशन ओवरलैप के दौरान होती है, खास तौर पर U.S./लंदन ओवरलैप के दौरान, जो सुबह 8:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे EST तक होती है। यह अवधि उच्चतम तरलता और अस्थिरता प्रदान करती है। यही बात इसे कीमतों में तेज़ उतार-चढ़ाव की फिराक में रहने वाले डे ड्रेडर्स के लिए आदर्श बनाती है14।
US/लंदन ओवरलैप
यह उच्च तरलता और अस्थिरता के कारण सबसे अधिक ट्रेडिंग के अवसर प्रदान करता है।
सिडनी/टोक्यो ओवरलैप
यह पिप में होने वाले तेज़ उतार-चढ़ाव के साथ ट्रेडिंग करने का अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से EUR/JPY के लिए1।
करेंसी बाज़ार की टाइमिंग को प्रभावित करने वाले कारक
करेंसी बाज़ार की टाइमिंग को कई कारक प्रभावित कर सकते हैं:
आर्थिक रिलीज़
ब्याज़ दरों की घोषणा और रोज़गार संबंधी आँकड़ों के जारी होने जैसी घटनाएँ कीमतों में तेज़ उतार-चढ़ाव ला सकती हैं।
भू-राजनीतिक घटनाएँ
चुनाव, ट्रेड से जुड़ी बातचीत, और अन्य भू-राजनीतिक घटनाक्रम अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा कर सकते हैं।
सीज़नल ट्रेंड
कुछ मुद्रा युग्म खास महीनों के दौरान, पहले से तय पैटर्न के आधार पर प्रदर्शन करते हैं।
अलग-अलग ट्रेडिंग शैलियों के लिए रणनीतियाँ
डे ट्रेडर
ये उच्च-अस्थिरता की स्थितियों में सफल होते हैं, सेशन ओवरलैप इनकी रणनीतियों के लिए आदर्श होते हैं।
स्विंग ट्रेडर
ये कई दिनों या सप्ताहों तक कीमत में उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं और आम तौर पर व्यस्त समय के बाहर ट्रेडिंग करने को अधिक लाभ दायक मानते हैं।
निष्कर्ष
हर पल बदलती फ़ॉरेक्स की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए करेंसी बाज़ार की टाइमिंग में महारत हासिल करना बेहद ज़रूरी है। बाज़ार के सेशंस को समझकर, ट्रेडिंग की सही टाइमिंग की पहचान करके, और बाहरी कारकों पर विचार करके ट्रेडर अपनी रणनीतियों को विकसित कर सकते हैं और बाज़ार के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
यह कोई निवेश सलाह नहीं है। पिछला प्रदर्शन, भविष्य के परिणामों का संकेत नहीं देता। आपकी पूँजी जोखिम पर है, कृपया ज़िम्मेदारी से ट्रेड करें।
लेखक:

Paul Reid
पॉल रीड वित्तीय पत्रकार हैं, जो ऐसे छिपे हुए मूल कनेक्शन्स को उजागर करने के लिए समर्पित हैं, जिनसे ट्रेडर्स को फ़ायदा मिल सकता है। मुख्य रूप से स्टॉक बाज़ार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पिछले एक दशक से वित्तीय बाज़ारों पर नज़र बनाए रखने के कारण, प्रमुख कंपनी परिवर्तनों को पहचानने का पॉल का सहजज्ञान काफ़ी विकसित हो चुका है।